आइये जानते है की गुरु रविदास कोन थे और रविदास जयंती क्यों कब और केसे मनाई जाती है इसके पीछे का इतिहास क्या है ?

रविदास जयंती
रविदास जयंती

कोन थे संत रविदास ?

संत रविदास का जन्म बनारस के समीप विशेष गोवर्धनपुर में हुआ माना जाता है इनका जन्म 1388 माघ पूर्णिमा के दिन हुआ था लेकिन कुछ विद्वानों के अनुसार इनका जन्म जन्म 1398 में माघ पूर्णिमा को हुआ माना जाता है ।

इनके पिता का नाम संतोष दास था वह उनकी माता का नाम कर्म देवी था इनका जन्म रविवार के दिन हुआ था इसलिए इन्हें रविदास के नाम से जाना जाता है हमने मीराबाई राजा पीपा तथा राजा नागरमल को भी ज्ञान का रास्ता दिखाया था ।

नाम रविदास
पिता का नाम संतोष दास
माता का नाम कर्म देवी
जन्म 1388 ई.
जन्म स्थान बनारस ,up
पेशा संत
समकालीन संत कबीर दास
जन्म 1398 ई.

गुरू रविदास जी की गोत्र क्या है

गुरू रविदास जी की गोत्र चमार जाति माना गया है क्योंकि ये जूते गाठने का काम करते थे ।

रविदास जयंती क्यों मनाई जाती है

संत रविदास जी भक्ति का आंदोलन में काफी योगदान दिया था रहता उस पथ पर चलने वाले लोगों में रविदास जयंती का काफी महत्व रविदास जी को सभी लोग सम्मान करते हैं इनमें न केवल रविदास जी का अनुसरण करने वालों का बल्कि अन्य लोग भी है।

संत संत रविदास जी ने अपने ज्ञान से समाज को संदेश दिया कि व्यक्ति जन्म से छोटा या बड़ा नहीं होता लेकिन अपने कर्म से छोटा या बड़ा होता है इन के विचारों सिद्धांतों को सदैव समय में जीवित रखने के लिए इनके जन्मदिवस को ही रविदास जयंती के रूप में मनाया जाता है।

कब मनाई जाती है गुरु रविदास जयंती

जिस प्रकार अन्य सभी त्योहार भारत में हिंदी कैलेंडर के अनुसार मनाया जाते हैं उसी प्रकार गुरु रविदास जयंती भी भारत में हिंदी कैलेंडर के अनुसार मनाई जाती है यह जयंती भारत में माघ पूर्णिमा को बनाई जाती है इस दिन गुरु रविदास जी का जन्म हुआ था ।

वर्ष 2023 में गुरु रविदास जयंती 5 फरवरी को मनाई जाएगी ।

कैसे मनाई जाती है गुरु रविदास जयंती?

इस इस जयंती को बड़े धूमधाम से मनाई जाती है इस दिन रविदास जी की अमृतवाणी को पढ़ा जाता है रितेश स्पंज में लोगों द्वारा संत रविदास की चित्र के साथ नगर कीर्तन और जुलूस निकाला जाता है इस दिन श्रद्धालु पवित्र नदी में स्नान करते हैं उसके बाद संत रविदास जी की छवि का पूजन करते हैं ।

इसके बाद श्रद्धालु वास्तु दोष गुरु रविदास के जीवन से जुड़ी महान घटना और चमत्कारों को याद करके गुरु रविदास जी के जीवन से प्रेरणा लेते हैं वह प्रत्येक वर्ष इनके जन्म स्थान गोवर्धनपुर वाराणसी में एक भव्य उत्सव का आयोजन किया जाता है जिसमें गुरु रविदास में श्रद्धा रखने वाले श्रद्धालु भाग लेते हैं ।

गुरु रविदास जी के विचार

सतगुरु रविदास जी ने जाति विशेष के सम्मान का पुरजोर विरोध करते थे इन्होंने मध्यम काल में ब्राह्मणवाद को चुनौती देते हुए अपनी रचना में समाज को संदेश देते हुए लिखा था कि

“रैदास बामण मत पूछिए जो होवे गुण हीन, पूजिए चरण चांडाल के जो गुण परवीन”

गुरु रविदास जी की आध्यात्मिक विचार

गुरु रविदास जी का एक अध्यात्मिक विचार बहुत ही प्रचलित है

मन चंगा तो कठौती में गंगा

रविदास जी बताते हैं कि गांव के सभी लोग गंगा स्नान के लिए जा रहे थे तभी किसी ने संत रविदास जी से कहा कि तुम क्यों नहीं चल रहे तुम भी चलो इस पर संत रविदास जी ने उनसे कहा कि मुझे कुछ अच्छे बनाने हैं मैं स्नान के लिए चला भी गया तो मेरा सारा ध्यान यही लगा रह गया इससे स्नान के बाद भी मुझे पुण्य की प्राप्ति नहीं होगी मेरा मन साफ है साफ है तो इस पत्थर के पानी में ही मेरा मेरी गंगा है तब से मन चंगा तो कठौती में गंगा शब्द विश्व में जाना जाने लगा ।

गुरु रविदास जी के भजन

conclusion

आज आप सबको गुरु रविदास जयंती के बारे में बताया गया और मैं आशा करता हूं कि आप सभी को यह जानकारी बहुत ही अच्छी लगी होगी अगर आपको अच्छी लगी है तो अपना नाम जरूर कमेंट करे ।

FAQ

रविदास जयंती कब है 2023?

5 फरवरी

रविदास जयंती कब मनाई जाती है

रविदास जयंती माघ पूर्णिमा की जाती है ।

गुरु रविदास जी का जन्म कब हुआ था

गुरु रविदास जी का जन्म 1388 ईस्वी में हुआ था लेकिन कुछ विद्वान 1398 इसमें में भी मानते हैं ।

गुरु रविदास जी किसकी भक्ति करते थे

गुरु रविदास जी परम अक्षर ब्रह्म कबीर परमेश्वर जी की भक्ति करते थे ।

गुरु रविदास जी का गोत्र क्या था

रविदास जी का गोत्र चमार जाति माना जाता है क्योंकि यह जूते गाठने का काम करते थे ।

चमार जाति के गुरु कौन थे

चमार जाति के गुरु रविदास जी को माना जाता है।

रविदास जी के पिता का नाम क्या था

रविदास जी के पिता का नाम संतोष दास था

By Joy Catherine

I'm a seasoned content writer passionate about showcasing the digital transformation of Bharat. With a knack for crafting compelling narratives, I bring the stories of the digital landscape in India to life. Through my writing, I aim to capture the vibrant spirit of Digital Bharat, covering topics that range from technological advancements to the evolving digital culture. Join me on this journey as we explore the exciting intersection of tradition and innovation, and discover the transformative power of the digital era in our incredible nation.

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